राजगढ़। धर्मदास गण नायक,आगम विशारद,बुद्ध पुत्र प्रवर्तक देव पूज्य श्री जिनेंद्र मुनि जी म सा की आज्ञानुवर्ती संयमरुचिका महासती पूज्या श्री संयमप्रभाजी मसा, पूज्या श्री प्रज्ञाजी मसा, पूज्या श्री सुज्ञाजी मसा, पूज्या श्री हितज्ञाजी मसा, पूज्या श्री सौम्याप्रभाजी मसा, पूज्या श्री प्रेक्षा जी मसा, पूज्या श्री निष्ठा जी मसा आदि ठाणा 7 महावीर स्थानक भवन चबूतरा चौक पर विराजित है। पूज्या महासती श्री संयम प्रभा जी म .सा सुख विपाक सूत्र के माध्यम से फरमाते हुए आप श्री ने बताया की नगर का राजा कैसा होता है? इस संदर्भ में राजा न्यायप्रिय, प्रजावत्सल, सदाचारी आदि गुणों से युक्त होता है और वर्तमान में नेता मात्र आस्वासन देता है चाहे संघ के बड़े हो, घर के बड़े हो -उन्हें लोकप्रिय बनना होता है अधीनस्थों के हदय सिंहासन पर राज करना होगा। बड़ों को कहना आजाए और छोटों को सहना आजाए तो मिलजुल कर सब को साथ में रहना आ जाए। जो कार्य करता है उसे ही सहना पड़ता है। ग्रहण चन्द्र सूर्य को लगता है तारे को नहीं। समाज के हितेश वागरेचा ने बताया की स्थानक भवन में आज की तपस्या चेतना विनोद वागरेचा -16 उपवास, समीक्षा पवन लुणावत-7 उपवास, हर्ष लुणावत -5 उपवास, रुचिका संजय मेहता -5 उपवास, कु. प्राची डोसी-5 उपवास, मीना सचिन खबिया-1 उपवास तेले की लड़ी सभी तपस्वीयो के आगे के भाव है। बेले की तपस्वी का बहुमान बाबूलाल जी मूणत परिवार ने किया। सम्पूर्ण चातुर्मास में तेले में भाग लेने वाले एवं उससे ऊपर 8.9 आदि तपस्वीयो का बहुमान घाटाबिल्लौद निवासी महेन्द जैन परिवार द्वारा किया जाएगा। एकासन अनिल नखेत्रा, विनोद डोसी आयंबिल व उपवास की लड़ी भी गतिमान है।
राजगढ़ – चातुर्मास के तहत महावीर स्थानक भवन में तप-तपस्या का दौर जारी
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