धार। माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धार जिला धार द्वारा दिनांक 29 अप्रैल को निर्णय पारित करते हुए धारा 34(2) मप्र आबकारी अधिनियम, 1915 में आरोपी अंतिम पिता मांगीलाल उम्र 25 वर्ष तथा शुभम पिता गब्बर उम्र 19 वर्ष दोनो निवासी गांधी मार्ग राजगढ़ थाना राजगढ़ को को 1-1 वर्ष का सश्रम कारावास व 25-25 हजार रूपये अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। अर्थदण्ड की राशि व्यतिक्रम कारावास सजा 2 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास से दण्डित किया जावेगा।
श्रीमती अर्चना डांगी मीडिया सेल प्रभारी जिला धार ने बताया कि आबकारी वृत्त सरदारपुर के सहायक जिला आबकारी अधिकारी रमेश सिंह तोमर को दिनांक 17.06.2015 को प्राप्त सूचना के आधार पर स्थान चत्तर कृषि फार्म के पास टिमाईची–भानगढ़ रोड़ थाना सरदारपुर पर आ रही आरोपीगण की मोटरसाइकिल को रोका गया तो आरोपीगण पहले ही मोटरसायकल छोड़कर फरार हो गए। मौके पर पंचानों के समक्ष मोटरसाइकिल एवं उस पर रखे बोरे की विधिवत तलाशी ली गई, तो उसमें 07 पेटी देशी मदिरा प्लेन कुल 350 पाव, कुल 63 बल्क लीटर बरामद की गई। बरामद मदिरा का मौके पर परीक्षण किया गया, तो पेटियों में भरे पावों में देशी मदिरा प्लेन होना पाया गया। मौके पर बरामद मदिरा का मापन एवं गणना की गई। आरोपीगण का कृत्य म.प्र. आबकारी अधिनियम 2015 की धारा 34 का अपराध पाया जाने पर मदिरा को विधिवत जप्त कर मय वाहन के कब्जे आबकारी ले गया व फरार आरोपीगण के विरुद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान जप्त वाहन के स्वामी की जानकारी क्षेत्रीय परिवहन के अधिकारी धार से प्राप्त करने पर जप्त वाहन गबरू लाल पिता धन्नालाल के नाम से पंजीबद्ध होना पाया गया। दिनांक 10/03/2015 को वाहन स्वामी गबरू ने कार्यालय में उपस्थित होकर बताया कि उक्त वाहन को अंतिम पिता मांगीलाल को विक्रय कर दिया गया था। जिसका वाहन ब्रिकी अनुबंध पत्र प्रस्तुत किया गया था। गबरू ने अपने कथनों मे बताया कि 17/06/2015 को रात्रि लगभग 11:30 बजे शुभम ने घर आकर बताया कि वह और अंतिम मोटरसाइकिल पर शराब की पेटिया लेकर आ रहे थे तो चत्तर कृषि फार्म के पास आबकारी वालों के रोकने पर दोनों मोटरसाइकिल व शराब की पेटिया छोड़कर भाग आए। गबरू के कथनो से अंतिम व शुभम के विरुद्ध साक्ष्य आने पर पंचानों के समक्ष दोनों आरोपीगण को गिरफ्तार किया गया व समुचित विवेचना उपरांत आरोपीगण के विरुद्ध अभियोग पत्र माननीय न्यायालय सरदारपुर में पेश किया गया। जहां पर संपूर्ण साक्ष्य पश्चात दण्ड के प्रश्न पर विधीवत निराकरण हेतु धारा 325 द.प्र.स. के तहत माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धार में भेजा गया। जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दण्ड के प्रश्न पर अभियोजन के प्रकरण को संदेह से परे प्रमाणित मानकर आरोपी को दण्डित किया गया। इस प्रकरण में शासन की ओर से सरदारपुर न्यायालय में पैरवी पीएल मेडा एडीपीओ तथा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी एडीपीओ एसएस गाडरिया द्वारा की गई।