नरेन्द्र पँवार @ दसाई। बचपन से ही धर्म का अनुसरण करना चाहिये वही बुढापे का इंतजार नही करना चाहिये क्योकि धर्म का मार्ग हमेंशा सही मार्ग बताता हैं, फिर हम बुढापे में धर्म करने की बात क्यों करते हैं। सही मार्ग पर जाना हैं तो समय का इंतराज नही करें और धर्म में जुड जावे उक्त विचार इच्छापूर्ण हनुमान धाम में 51 कुंडीय महायज्ञ की महापूर्णाहूति के अवसर पर गुरुवार को प.पु. गुरुदेव महामंडलेश्वर राष्ट्रसंत श्री बालबिहारीदासजी महाराज ने व्यक्त किए। श्री महाराज ने कहा कि यज्ञ का प्रभाव 50 किलोमीटर तक रहता हैं। यज्ञ से वातावरण हमेंश शुद्ध रहता हैं। साथ ही मेहनत से कमाया धन धर्म में खर्च करने वाला सौभाग्यशाली होता हैं। अपने धन का सदुपयोग धर्म के कार्य में करे।
क्षेत्र के प्रसिद्ध इच्छापूर्ण हनुमानधाम मंदिर की शिखर प्रतिष्ठा का आयोजन के तहत 22 से 28 अप्रैल तक शिवशक्ति महायज्ञ का आयोजन किया गया। जिसका समापन गुरुवार को हुआ। प्रातः से ही मंदिर परिसर में धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन प्रारम्भ हो गया था वही दर्शन के लिये श्रद्वालुओ का आना प्रारम्भ हो गया था। मंदिर परिसर में हजारो श्रद्वालुओ की भीड़ दर्शन के लिये पहुची थी ऐसे में मंदिर परिसर छोटा पड गया।
इच्छापूर्ण हनुमान मंदिर में शुभ मुहूर्त में स्वर्ण कलश की प्रतिष्ठा की गई जिसका लाभ परमानंद भग्गापिथा परिवार ने लिया। वही ध्वजारोहण का लाभ कन्हैयालाल-सिदुजी परिवार ने लिया। हनुमानजी को चांदी का हार मदनलाल भालावत परिवार ने चढाया, हनुमानजी को बडा घण्टा शिवनारायण कांजीगांगाराम परिवार, हनुमानजी को गदा स्व. गेंदालाल मन्दिर वाले की स्मृति में रामगोपाल मन्दिर वाले ने चढाया। प्रातः स्वर्ण कलश और ध्वजा का भव्य चल समारोह निकाला गया,जिसमें भक्तजन झूमते रहे। शिवशक्ति महायज्ञ के समापन अवसर पर नगर चौरासी (नगर भोज) का विशाल आयोजन किया गया जिसमें दसाई सहित आसपास के हजारो लोगों ने भोजन प्रसादी ग्रहण की। नगर भोज का लाभ दिनेश नराणमोती परिवार द्वारा लिया गया।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां – नगर के इतिहास में पहली बार इतना विशाल आयोजन हुआ जिसके समापन पर 10 हजार से भी अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहे। प्रवेश द्वार से लगाकर कार्यक्रम स्थल तक सभी को चंदन के तिलक लगाए गये। शिवशक्ति महायज्ञ के समापन अवसर पर महाआरती में जनसैलाब उमड़ गया। श्रद्धालुओं के लिये ठंडाई तथा चायपान की व्यवस्था निःशुल्क की गई थी। मंदिर परिसर में एक से बढ़कर एक सुंदर रंगोली बनाई गई, जो का आकर्षण केंद्र रही। श्रद्धालुओं ने प्रातः 7 बजे से यज्ञशाला में परिक्रमा लगाना प्रारम्भ कर दी थी।