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अमझेरा – सहस्त्रचण्डी महायज्ञ की तैयारियां प्रांरभ, भूमिपूजन एवं ध्वजारोपण की धुमधाम और हर्षोल्लास के साथ निकाली शोभायात्रा

अमझेरा। नगर में आगामी माह में 8 मई से 14 मई तक सात दिवसीय एकादशकुण्डिय सग्रहमख सहस्त्रचण्डी महायज्ञ होने जा रहा है। जिसके लिए गुरूवार को यज्ञशाला निर्माण हेतु भूमिपूजन एवं ध्वजारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस हेतु श्रीराम चौक गंगेश्वर महादेव मंदिर से ढोल-ढमाके के साथ शोभायात्रा निकाली गई। जिसमें महंत श्री घनश्यामदासजी महाराज जुनाराजपिपला आश्रम राजकोट गुजरात, फतियापुरा त्रिवेणीधाम मंहत गरूड़दासजी महाराज, केशरपुरा हनुमान मंदिर आश्रम संत वासुदेवजी महाराज के साथ श्रीश्री विद्याधाम इन्दौर के यज्ञाचार्य आचार्य आनंदजी के साथ अन्य आचार्यगण व समिति सदस्यगण व जनप्रनिनिधिगण एवं नगरजन शामिल हुए। शोभायात्रा के आगे कार्यकर्ता धर्मध्वजा को लेकर एवं जयकारे लगाते हुए चल रहे थे। यात्रा नगर के मुख्य मार्ग से होते हुए तंबोली मोहल्ला स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर पहुंची। जहां सभी के द्वारा माताजी के दर्शन कर यज्ञस्थल पहुंचे तथा आचार्य आदर्शजी के मार्गदर्शन में एवं श्रीश्री विद्याधाम के पीठाधिश्वर श्री चिन्मयानंदजी सरसस्वती जी की उपस्थिति में महंत श्री घनश्यामदासजी महाराज के द्वारा वैदिक क्रियाओं एवं मंत्रोचार की ध्वनियों के बीच विधिविधान के साथ यज्ञशाला का भूमिपूजन किया गया। जिसके बाद सभी के द्वारा जयकारे लगाते हुए ध्वजारोपण किया गया एवं यज्ञ के निर्विध्न संपन्न होने की प्रार्थना की गई।

इस मौके पर श्री पीठाधिश्वर महाराज ने अपने उद्बोधन में बताया कि संत जहॉ जाते है वह स्थान तीर्थ बन जाता है। यज्ञकर्म सबसे श्रेष्ठ कर्म होता है जिसके करने से मनुष्य अपनी सारी मनोकामनाएं पुरी कर सकता है और भगवतपुण्य लाभ ले सकता है जो मनुष्य को पुरी तरह से पवित्र करता है। यज्ञ से पवित्र कुछ भी नहीं है अग्निदेव सभी की इच्छाओं को पूरी करते है। यज्ञ करने के बाद उसका जो फल प्राप्त होता है वह अक्षय बना रहता है एवं यज्ञ से देवता बलवान होते है। वही समिति के सदस्यों के द्वारा सभी संत-महात्मा और आचार्यजनों का केसरिया दुपट्टा एवं पुष्पमाला पहना कर सम्मान किया गया। भूमिपूजन और ध्वजारोहण के कार्यक्रम के बाद समिति के सदस्य महायज्ञ की तैयारीयों में जुट गये है।

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