राजगढ़। जिस पर गुरु का वरद हस्त है, उसे कोई चिंता नही। उसकी चिंता स्वयं गुरु करता है। गुरु भोजन से नही बल्कि भजन से तृप्त होता है। गुरु का आशिर्वाद हमेशा जीवन मे होना चाहिए। जिसके सर पर गुरु का वरद हस्त हो वो कभी हारता नही है। जीवन जब तक गुरु रूपी तार से नहीं जुड़ता तब तक जीवन में प्रकाश नही होगा। कोरोना काल में हमने अपने कई प्रिय गुरुजनों को खो दिया है। लेकिन वे आज भी हमारे बीच अलौकिक रूप से विद्यमान है।उक्त उद्गार नगर के पांच धाम एक मुकाम श्री माताजी मंदिर पर गुरुभक्तों को संबोधित करते हुए ज्योतिषाचार्य श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज ने कहे।
मंदिर पर प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी गुरुपूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। मंदिर के शास्त्री श्रीकृष्ण भारद्वाज ने बताया कि गुरुपूर्णिमा के अवसर पर प्रातः ब्रम्हलीन 1008 मुरलीधरजी महाराज के समाधि मंदिर पर उनकी प्रतिमा का अभिषेक कर पूजन किया गया। गुरुभक्तों की उपस्थिति में गुरुमहाराज की महाआरती कर प्रसादी का वितरण किया गया। वही प्रातः से ही गुरुपूजन के लिए आए गुरुभक्तो ने गुरुदेव मुरारीलालजी भारद्वाज, महावीर प्रसाद (नारायण स्वामी) भारद्वाज तथा ज्योतिषाचार्य पुरुषोत्तमजी भारद्वाज के पद पूजन किया तथा गुरुमंत्र प्राप्त किया।