राजगढ़। अब तक जैन समाज में अनेको आचार्यों ने हर वर्ष चातुर्मास कर ज्ञान की गंगा से जैन-अजैनों को सराबोर किया है लेकिन यह पहला अवसर था जब उत्तर भारत के सबसे प्रसिद्ध धर्म स्थल हरिद्वार में किसी जैनाचार्य ने चातुर्मासिक प्रवेश किया हो। यह हुआ सोमवार को। मालव भूषण तप शिरोमणी आचार्यश्री नवरत्न सागर सूरिश्वरजी मसा के पट्टधर युवाचार्यश्री विश्वरत्न सागर सूरिश्वरजी ने सोमवार को देवभूमि हरिद्वार में चातुर्मासिक प्रवेश किया। आचार्यश्री की अगवानी के लिए बरसते पानी में भी समाजजन पलक-पावड़े बिछाए नजर आए। आचार्यश्री के मंगल प्रवेश का उत्साह ऐसा रहा कि बरसते पानी में समाजजन नाचते-गाते चलते रहे थे। सुबह करीब 10 बजे आचार्यश्री का मंगल प्रवेश हरिद्वार के ऋषिकेश मार्ग से हुआ। भव्य मंगल प्रवेश चल समारोह गोकर्ण आश्रम से आरंभ होकर चातुर्मासिक स्थल पहुंचा। यहां पर धर्मसभा का आयोजन हुआ। आचार्यश्री की अगवानी चिंतामणी पार्श्वनाथ जैन ट्रस्ट के दिनेश दोशी, किशोर भाई, विनोद भाई, रवि भाई, शांतिलाल व चाइजी परिवार ने की। स्वागत भाषण ट्रस्ट के ट्रस्टी दिनेश दोशी ने दिया। संचालन संगीतकार त्रिलोक मोदी ने किया। अदिति कोठारी ने भक्ति गीत प्रस्तुत किया। वहीं नवरत्न परिवार के राजेश जैन ने भी संबोधित किया। गौरतलब है कि राजगढ़ से भी श्रीसंघ हरिद्वार पहुंचा हैं। राजगढ़ से नवरत्न धाम पालीताणा ट्रस्ट के ट्रस्टी वीरेंद्र जैन, नवरत्न परिवार के राष्ट्रीय विहार सेवा प्रमुख सुनील फरबदा, द वर्ल्ड डायमंड फाउंडेषन ट्रस्ट के संदीप जैन नाकोड़ा ने राजगढ़ सकल श्रीसंघ का प्रतिनिधित्व किया।
भारत के 1100 जीनालयों में एक साथ होगा शुद्धिकरण – आचार्यश्री ने धर्मसभा में कहा कि अब तक हम जो भी चातुर्मास करते आए हैं वे गुरु भक्तों के आग्रह पर किए है। यह पहला अवसर है जब हमने चातुर्मास का स्थल अपनी इच्छा से चयन किया है। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि भारत के 1100 जीनालयों में 29 अगस्त को नवरत्न परिवार की स्थानीय श्रीसंघ इकाई द्वारा एक साथ शुद्धिकरण की प्रक्रिया आयोजित की जाएगी। परिवार की राष्ट्रीय इकाई द्वारा किट बनाकर सभी जीनालयों को भिजवाने की व्यवस्था भी होगी।
हरिद्वार में ही होगा महासम्मेलन – गौरतलब है कि प्रतिवर्ष नवरत्न परिवार का महासम्मेलन आयोजित किया जाता है लेकिन कोरोना की वजह से पिछले दो वर्ष से यह नहीं हो पा रहा था। इस बार यह सम्मेलन 23 और 24 सितंबर को आचार्यश्री की निश्रा में हरिद्वार में ही होगा। इसमें संपूर्ण भारत में कार्यरत नवरत्न परिवार की सभी शाखाओं के सदस्यों को आमंत्रित किया जाएगा। इस अवसर पर आचार्यश्री ने घोषणा करते हुए कहा कि श्री अमिझरा पार्श्वनाथ तीर्थ पर होने वाले तीर्थ के जीर्णोद्धार के तहत नवीन जीनालय का निर्माण कार्य 18 अगस्त से प्रारंभ होगा।
देव भूमि पर होगा उपधान तप – स्मरणीय है की गुरुदेव की निश्रा में गत 32 वर्षों से ऊपधान तप की अराधना हो रही हैं। इस बार इस तप की आराधना भी देवभूमि पर ही होगी। इसकी घोषणा भी धर्मसभा में हुई। ट्रस्टी किशोर भाई ने भावमय तरीके से संबोधित कर उत्तर भारत की ओर से आचार्यश्री का अभिनंदन करते हुए अगले तीन-चार वर्ष के चातुर्मास उत्तर भारत में ही करने का आग्रह भी किया। लुधियाना से पहुंचे गुरु भक्त सुनील भाई ने भी लुधियाना में चातुर्मास करने का आग्रहण आचार्यश्री के समक्ष रखा। आचार्यश्री ने चिंतामणी ट्रस्ट की उदारता की भूरी-भूरी अनुमोदना भी की। ट्रस्ट की ओर से आचार्यश्री को कांबली ओढ़ाई गई। इनके साथ ही आचार्यश्री देव सूरीश्वरजी का भी भव्य प्रवेश हुआ। आचार्यश्री विश्वरत्न सागर सूरीश्वरजी ने इस अवसर पर कहा कि एक तरफ गंगा नदी का निर्मल जल है तो वहीं दूसरी तरफ गुरुओं के ज्ञान की गंगा का अद्भूत संगम है।