सरदारपुर। राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद द्वारा राष्ट्रपति के नाम एसडीएम बीएस कलेश को ज्ञापन सौपा। ज्ञापन में बताया कि भारत के विभिन्न राज्यों में निवास करने वाले आदिवासियों की संस्कृति और पहचान समाप्त करने के लिए एवं विकास के नाम पर जल जंगल और जमीन में बेदखल करने के लिए और असंवैधानिक कृतियों पर तत्काल रोक लगाकर वैधानिक व्यवस्था के अनुसार अधिकार अनुचित करें एवं संविधान में आदिवासी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में पहचान है। और इसकी पहचान के आधार पर तमाम प्रकार की सामाजिक धार्मिक राजनीतिक संस्कृति विरासत को सुरक्षित करने के लिए विभिन्न अनुच्छेद और अनुसूचियां में अधिकार प्राप्त हैं यह है कि जिन तमाम विदेशी आक्रमणों से लड़ते हुए गुलाम भारत में आदिवासी पुरुषों ने जल जंगल जमीन और अपनी संस्कृति को सुरक्षित करने के लिए जान की बाजी लगाई थी। इसलिए देश भर में लाखों जनजातियों के सामाजिक संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर आपका ध्यान आकृष्ट करने के लिए कदम उठाया है संविधान के दायरे में रहकर मांगों पर विचार उचित करे एवं 24 सूत्री मांगों को लेकर संगठन ने ज्ञापन सौपा। इस दौरान प्रभारी सुनील अजरावत, जिला अध्यक्ष राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद बालूसिंह बारिया, मीडिया प्रभारी खेलसिंह भुरिया, एडवोकेट अनिल नर्वे, अकरम भूरिया, सुखराम मेडा, शांतिलाल भाबर, जयेश अध्यक्ष राजेंद्र गामड, विजय भाबर, सुरेश वाघेला, किशन सिंगार, गोलू,कमलेश दायमा, अजय निनामा, दशरथ निनामा, विनोद भाबर, अनिल खराड़ी आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे।