रमेश प्रजापति @ राजगढ़। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ‘राजनीति में बिना वजह कुछ नही होता, अगर कुछ हों रहा है तो जरूर उसके पीछे कोई बड़ी वजह होगी।’ यह बात बीते दिनों मालवा तथा निमाड़ में राजा तथा महाराजा के दौरे पर सटीक बैठ रही है। कांग्रेस के राजा दिग्विजयसिंह ने अचानक ही निमाड़ क्षेत्र का दौरा किया तो भाजपा के महाराजा ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मालवा क्षेत्र का दौरा। दोनों शीर्ष राजनेताओं के दौरे का मुख्य केंद्र धार रहा।
बात की जाए कांग्रेस के राजा दिग्विजयसिंह की तो उनका अचानक निमाड़ दौरा राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर गया है। हर बार भाजपा सरकार पर अपने आक्रामक तेवर दिखाने वाले दिग्विजयसिंह इस बार अलग ही अंदाज में दिखे। वे भाजपा सरकार पर तीखे प्रहार करने से बचते नजर आए। सूत्रों की माने तो कोरोना काल मे दिवंगत कांग्रेस नेताओं के यहां शोक सवेंदना प्रकट करने के बहाने दिग्गी राजा ने निमाड़ की राजनीतिक नब्ज़ टटोल ली है। साथ ही धार जिले के कद्दावर नेता राजवर्धन सिह दत्तीगांव के बढ़ते सियासी कद को भी दिग्गी राजा ने भांप लिया है। अपने कुनबे के पुराने कांग्रेस नेताओं से मेल मुलाकात कर दिग्विजयसिंह ने कोरोनाकाल के बाद कांग्रेस परिवार में नई ऊर्जा भरने का प्रयास भी किया है। हालांकि शोसल मीडिया पर दिग्विजय सिंह के इस दौरे को लेकर कांग्रेस के नेताओ द्वारा ही टिका टिप्पणी जरूर की गई। लेकिन कहां जाता है ना की “दूध का जला छाझ भी फूँकरकर पिता है।” इसी तरह कांग्रेस भी अब संभल-संभल कर कदम रख रही है।
इधर बात की जाए भाजपा के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया की तो श्रीमंत ने भी अचानक ही मालवा क्षेत्र का दौरा किया है। श्रीमंत का दौरा उनके कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने के बाद का एक नई सियासी पारी के तौर पर देखा जा रहा है। जिस तरह श्रीमंत ने वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मेल मुलाकात की उससे ऐसा तनिक भी नही लगा कि भाजपा उनके लिए नया परिवार है। श्रीमंत की जमीनी पकड़ किसी परिचय की मोहताज नही है। अपने दौरे के दौरान धार पहुँचे श्रीमंत भाजपा के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा से जिस आत्मीयता से मिले उससे एक पल भी यह नही लगा कि वे कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए हुए है। मालवा दौरे के बहाने श्रीमंत ने भी अपनी जमीनी पकड़ का होम वर्क जरूर किया है। उन्होंने ने भी क्षेत्र की राजनीतिक नब्ज़ को अपनी सुक्ष्म दृष्टि से टटोला है। भाजपा सरकार ने टीम सिंधिया के सबसे भरोसेमंद माने जाने वाले कैबिनेट मंत्री राजवर्धन सिह दत्तीगांव को मंदसौर और अलीराजपुर जिले का प्रभारी मंत्री बनाया है। इससे ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है राजा तथा महाराजा का अचानक हुआ मालवा-निमाड़ का दौरा आम दौरा नही है।
कहा जाता है कि प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने का एक रास्ता मालवा-निमाड़ क्षेत्र से होकर भी निकलता है। इसलिए दोनों का अचानक हुआ दौरा कई मायनों में अहम है। क्योंकि सूत्र बताते है कि निमाड़ में सक्रिय हो रहे तीसरे मोर्चे को ना भाजपा सहन करेगी और ना ही कांग्रेस..!