विक्रमसिंह राठौर, अमझेरा। आगामी 21 जून को विश्व योग दिवस है ऐसे में हम सभी को अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग और प्रकृति दोनों के साथ जुड़े रहना चाहिए प्रकृति ने हमें कई औषधीय पेड़ पौधे दिए हैं जिनके उपयोग से हम हमारे स्वास्थ्य को बेहतर रख सकते हैं और हमारे आस-पास ऐसे ओषधिय पेड़ो के बारे में जान लेना भी आवश्यक है जिनकी खुबीयों से हम अभी तक अंजान या जानकर भी बेखबर है। आज की कड़ी में हम ऐसे ही एक औषधीय पेड़ बबूल के बारे में बताने जा रहे हैं। बबूल का पेड़ ओषधिय पेड़ो का सरताज माना जाता है तथा नीम के पेड़ की तरह इस पेड़ की जड़,छाल,पत्तियाॅ एवं फल सभी बहुत ही गुणकारी है तथा इनसे मनुष्य के शरीर की कई प्रकार की गंभीर बिमारीयों का इलाज संभव है। बबुल का पेड़ सभी दुर देखने को मिल जाते है तथा ग्रामिण इलाको में इनकी भरमार होती है। आज देखने में आया है कि दंत रोगो के लिए कई लोग मंहगे से मंहगे इलाज करवाते हैे लेकिन उन्हे फिर भी आराम नहीं मिलता लेकिन बबूल की दांतुन करने से दांतो की पायरिया जैसी गंभीर बिमारी का खात्मा किया जा सकता है। मसुड़ो से बदबू या खुन आने की शिकायत हो या फिर दांत कमजोर हो बबूल की दांतुन करने से सभी प्रकार से दंतरोग जड़ से समाप्त हो जाते है वहीं मुंह के छाले हो जाने पर इस पेड़ की पत्ति को चबाने से छाले खतम हो जाते है। अमझेरा के समाजसेवी मन्नालाल शर्मा बबूल की दांतुन के फायदे के बारे में जानकारी देते हुए बताते है कि जब वे करीब 18 वर्ष थे तभी उन्हे दांतो में पायरीया जैसा गंभीर रोग लग गया था जिसका काफी इलाज करने के बाद भी आराम नहीं पड़ा तो उन्हे बबूल की दांतुन करने का इलाज पता चला और आज वे करीब 80 वर्ष के हो गये है तब से लेकर आज तक बबुल की ही दांतुन कर रहे है जिससे उनके सभी दांत आज भी पुरी तरह से मजबुत और स्वच्छ है इसलिए वे सभी को बबूल की दातुन करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही पेड़ की छाल, फिटकरी,लोंग का मिश्रण कर चुर्ण बना कर मंजन के रूप में भी उपयोग कर सकते है वहीं इसके पेड़ का गोंद भी बहुत गुुणकारी होता है साथ की बबूल का पेड़ बहु उपयोगी है जिससे लोगो की कई अनेक प्रकार की गंभीर बिमारीयों के साथ शारिरीक कमजोरी के लिए भी इलाज में लिया जा सकता है
अमझेरा – दंतरोगो और मुंह के छाले के लिए बबूल के पेड़ से होता है रामबाण इलाज, कई बिमारीयों को करता है जड़ से समाप्त
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