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धुलेट – टिड्डी दल के प्रकोप से सतर्क रहने हेतु कृषि वैज्ञानिकों ने ग्रामीणों को दी सलाह, वर्ष 1996 में क्षेत्र आ चुका है टिड्डी दल

विनोद सिर्वी, धुलेट। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस पूरे विश्व में हाहाकार मचा रखा है। लॉक डाउन के चलते किसानों की नगदी फसलें खेतों में ही रह गई है। जिससे किसानों को लाखों रुपैया का नुकसान हुआ है। किसानों के लिए हर बार कुछ न कुछ समस्या आ ही जाती है। कभी प्राकृतिक आपदा तो कभी अच्छे फसल उत्पादन के कारण भाव ना मिलना। कोरोना वायरस के बाद अब टिड्डी कीट का प्रकोप मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में देखने को मिल रहा है। इसी को देखते हुए सरदारपुर विकासखंड के धुलेट मैं कृषि विभाग द्वारा किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी गई। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी संतोष एस्के ने बताया कि राजस्थान की सीमा से सटे मध्यप्रदेश के सीमावर्ती कुछ जिलों में टिड्डी दल के आने की सूचना के बाद प्रशासन ने संबंधित क्षेत्रों के किसानों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राजस्थान की सीमा से लगे मंदसौर, नीमच और उज्जैन जिले के कुछ क्षेत्रों में टिड्डी दल के आने की प्रशासनिक जानकारी के आधार पर बचाव और सतर्कता के लिए निर्देश कृषि विभाग की ओर से दिए गए हैं। टिड्डी दल के प्रकोप को देखते हुए विभाग से हमें निर्देश मिले थे कि गांव में जिन-जिन किसानों के पास ट्रैक्टर चलित पावर स्प्रे है। उनकी सूची विभाग को दें तथा उन्हें हर समय तैयार रहने को कहें। गांव के 18 किसानों को चिन्हित कर सूची आगे भेजी है। टिड्डी दल के प्रकोप की खबर सुनकर किसानों के मन में डर है कि कहीं टिड्डी दल हमारे क्षेत्र में ना आ जाए । वरना इसके प्रकोप से जायद की फसल के साथ ही किसानों के खेतों में डाली गई नर्सरी भी खत्म हो जाएगी।

पहले भी आया था क्षेत्र में टिड्डी दल –
 गांव धुलेट के किसान बाबूलाल चौधरी ने बताया कि सन् सितंबर 1996 में भी हमारे क्षेत्र में टिड्डी कीट का प्रकोप हुआ था। बड़ी संख्या में टिड्डी किट ने खेतों में लगी फसलों पर धावा बोला था। तब किसानों ने ट्रैक्टर तथा मोटरसाइकिल के साइलेंसर निकालकर व बेलो के गले में घुंघरू वह बैलगाड़ी के पहियों में घुंघरू बांध कर खेतों में दौड़ाए थे। तब टिड्डी भाग गई थी। रात्रि में टिड्डी दल को क्षेत्र में नहीं रुकने दिया। टिड्डी दल जहां भी बैठा था वहां के पेड़ पौधों के सारे पत्ते को खा गया था। किसानों की सतर्कता से टिड्डी को उस समय भगा दिया था।


कृषि विज्ञान केंद्र से दि किसानों को सलाह – 
कृषि विज्ञान केंद्र धार के वैज्ञानिक के एस किराडे ने सलाह में कहा कि किसान भाई इस कीट की सतत् निगरानी रखे, यह कि सी भी समय खेतों में आक्रमण कर क्षति पहुंचा सकते हैं। शाम सात से नौ बजे के मध्य यह दल रात्रिकालीन विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकते हैं। जिसकी पहचान एवं जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल का गठन कर सतत् निगरानी रखें। जैसे किसी गांव में टिड्डी के आक्रमण एवं पहचान की जानकारी मिलती है तो त्वरित गति से स्थानीय प्रशासन कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क कर जानकारी देवें। यदि टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है तो सभी किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह की पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनि वाले यंत्रों को बजाकर या पौधों की डालों से अपने खेत से भगाया जा सकता है।यदि शाम के समय टिड्डी दल का प्रकोप हो गया है तो सुबह तीन बजे से पांच बजे तक तुरंत निम्नलिखित अनुशंसित कीटनाशी दवाएं ट्रेक्टर चलित स्प्रे पंप, पॉवर स्प्रेयर द्वारा जैसे-क्लोरपॉयरीफॉस 20 ईसी 1200 मिली. या डेल्टामेथरिन 2.8 ईसी 600 मिली. अथवा लेंडासाईलोथिन 5 ईसी 400 मिली., डाईफ्लूबिनज्यूरान 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हैक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। रासायनिक कीटनाशी पाउडर मेलाथियान 5 प्रतिशत 20 कि ग्रा या फे नबिलरेड 0.4 प्रतिशत 20.25 कि ग्रा. या क्यूनालफॉस 1.5 बीपी 25 कि ग्रा. प्रति हैक्टेयर की दल से बुरकाव करें। किसान भाई टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशी दवा उपलब्ध न हो तो ऐसी स्थिति में ट्रेक्टर चलित पॉवर स्प्रे के द्वारा तेज बौछार से भगाया जा सकता है।

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