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भोपाल – मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी जिलों में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की, कहा – जिलों की सीमाएं सील रखें, पूरी सख्ती और चुस्ती से कार्य करें सभी कलेक्टर

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश से कोरोना संकट को जल्दी से जल्दी समाप्त करने के लिए सभी कलेक्टर पूरी सख्ती और चुस्ती से कार्य करें। संक्रमण रोकने के लिए ज़िलों की सीमाएं सील रखें तथा हॉटस्पॉट क्षेत्रों से आना-जाना पूर्ण रूप से बंद रहे। जनता को दवाएं, दूध, सब्ज़ी, फल, किराना आदि की आपूर्ति ज़िला प्रशासन के माध्यम से सुनिश्चित हो। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान, संचालक जनसंपर्क श्री ओ.पी. श्रीवास्तव सहित सभी संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

टेस्टिंग लैब्स की संख्या बढ़ाएं –
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कोरोना टेस्टिंग लैब्स की संख्या बढ़ाई जाए। अभी 7 लैब कार्य कर रही हैं। सभी मेडिकल कॉलेज में टेस्टिंग चालू की जाए। निजी मेडिकल कॉलेज में भी टेस्टिंग व्यवस्था करें।  अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि  कोरोना से प्रदेश के 22 जिले प्रभावित हो गए हैं।  नए संक्रमित जिलों रतलाम में एक एवं मंदसौर में एक कोरोना संक्रमित मरीज पाए गए हैं।

ऐसे प्रयास करें कि संक्रमण फैले नहीं-
रतलाम और मंदसौर जिलों में कोरोना पॉजिटिव के 1-1 मरीज़ मिले हैं। दोनों व्यक्तियों को पहले से ही क्वारेंटाइन में रखा गया है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए कि संक्रमित क्षेत्रों को तुरंत सील करें, पूरी कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग करें तथा हर आवश्यक कदम उठाएं, जिससे संक्रमण न फैले। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में दवाई, दूध, फल, सब्ज़ी, किराना की आपूर्ति बनी रहे, यह सभी कलेक्टर सुनिश्चित करें। इस कार्य में स्वयंसेवी संस्थाओं और जन-प्रतिनिधियों का सहयोग लें। बड़ी मंडियों को विकेन्‍द्रीकृत कर किसानों से फल एवं सब्जियाँ खरीदी जाएं तथा प्रशासन इसकी आपूर्ति व्यवस्था करें।

इंदौर पर दें विशेष ध्यान –
मुख्यमंत्री ने कहा कि इंदौर की टीम पूरी मेहनत से दिन-रात कार्य कर रही है परन्तु वहां सर्वाधिक प्रकरण होने से मुझे वहां की ज्यादा चिंता है। प्रशासन वहां सर्वोत्तम इलाज सुनिश्चित करे, हॉट स्पॉट कड़ाई से सील हों तथा वहां गहन स्वास्थ्य परीक्षण का कार्य हो। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य ने निर्देश दिए कि इलाज के लिए हर बेड पर ऑक्सीजन की उपलब्धता हो। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि घर-घर आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए छोटे दुकानदारों का भी सहयोग लिया जाए। कलेक्टर भोपाल ने बताया कि भोपाल को 16 जोन में बांटा गया है। कोरोना टेस्टिंग का कार्य अधिकाधिक किया जा रहा है। यहां 271 वाहनों द्वारा आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कराई जा रही है।

उज्जैन की स्थिति बेहतर –
कलेक्टर उज्जैन ने बताया कि उज्जैन के 16 प्रकरणों में से 3 डिस्चार्ज हो गए हैं, 2 मरीजों को शीघ्र डिस्चार्ज कर देंगे। गत 7 तारीख से कोई प्रकरण पॉजिटिव नहीं हैं। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन को लेकर मेरी चिंता थोड़ी कम हुई है, परंतु कलेक्टर सख्ती और चुस्ती जारी रखें, जिससे प्रकरण बढ़ें नहीं। कलेक्टर मुरैना ने बताया कि ज़िले के 14 प्रकरणों में से 7 का प्रथम टेस्ट निगेटिव आया है। दूसरे टेस्ट के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। शेष 7 की हालत अच्छी है।

बैंक की घर पहुंच सेवा –
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि विभिन्न योजनाओं की जो राशि हितग्राहियों के खातों में गई है, उसे बैंक से निकालने में हितग्राहियों को दिक्कत न हो, यथासंभव उन्हें घर पहुँच सेवा दी जाए। बैंकों को इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टर देवास ने बताया कि वहां 450 बैंक कॉरेस्पोंडेंस (बीसी) के माध्यम से केन्द्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों के खातों में अंतरित राशि उन्हें घर-घर वितरित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अन्य जिलों में भी कलेक्टर ऐसी व्यवस्था करें। शिवपुरी ज़िले में कोरोना के दोनों मरीज़ निगेटिव आए हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए कलेक्टर को बधाई दी तथा आगे भी पूरी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए।

आरोग्य सेतु मोबाइल एप अत्यंत उपयोगी –
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना बीमारी को समझने, उससे बचाव, संक्रमण रोकने, कार्य की मॉनिटरिंग आदि के लिए आरोग्य सेतु मोबाइल एप अत्यंत उपयोगी है। सभी कलेक्टर अपने ज़िलों में आरोग्य सेतु मोबाइल एप के उपयोग के लिए लोगों को प्रेरित करें। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में एस्मा कानून लागू किया गया है। अब निजी अस्पताल भी जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए मना नहीं कर सकते। कलेक्टर अपने ज़िलों में इनकी सेवाएं लें। साथ ही सरकारी अस्पताल में भी सभी बीमारियों के इलाज के लिए स्वास्थ्य सेवाएं पूर्ववत जारी रहें।

कालाबाज़ारी, जमाखोरी न हो –
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समय प्रदेश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा है। ऐसे में यदि कोई व्यापारी जमाखोरी या कालाबाज़ारी करता है, तो यह मानवता के प्रति बड़ा अपराध है। अतः सभी कलेक्टर सुनिश्चित करें कि उनके जिले में कालाबाजारी, जमाखोरी न हो।  मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कोरोना संकट के समय बिना भीड़भाड़ के, पूरी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ फसल के उपार्जन के लिए ज़िलों में अधिक से अधिक उपार्जन केन्द्र बनाए जाएं। किसानों को स्पष्ट रूप से यह संदेश दिया जाए कि एसएमएस मिलने पर ही किसान अपनी फसल बेचने उपार्जन केन्द्र पर आएं। मुख्यमंत्री को बताया गया कि इस प्रकार की व्यवस्था की जा रही है कि एक दिन में औसतन 10 किसान फ़सल बेचने आएं। इसके लिए किसानों को दिनांक व पारी का एसएमएस किया जाएगा। इस बार प्रतिदिन दो पारियों में खरीद होगी। वे नियत दिनांक व पारी पर ही उपार्जन केंद्र पर आएंगे। भोपाल, इंदौर एवं उज्जैन को छोड़कर शेष ज़िलों में 15 अप्रैल से उपार्जन प्रारम्भ होगा।

कोरोना योद्धाओं के लिए 50 लाख का सुरक्षा कवच –
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना संक्रमण को रोकने के कार्य में लगे अमले को किसी अनहोनी की स्थिति में सरकार पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता देगी। यह राशि सुरक्षा कवच की प्रतीक होगी। अपर मुख्य सचिव श्री मोहम्मद सुलेमान ने निर्देश दिए कि सभी क्वारेंटाइन सेन्टर में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं, जिससे राज्य-स्तरीय कंट्रोल रूम से भी वहां कार्यरत व्यक्तियों की निगरानी की जा सके। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हर कलेक्टर यह सुनिश्चित करे कि उनके ज़िले में कोई भूखा नहीं सोए। शासन द्वारा प्रत्येक गरीब व्यक्ति के लिए पर्याप्त खाद्यान्न एवं भोजन की व्यवस्था की गई है।  मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वनोपज संघ के माध्यम से महुआ, चिरौंजी, करंजा, निम्बोली आदि वनोपजों की खरीदी की व्यवस्था की जाए। आगामी दिनों में तेंदूपत्ता संग्रहण का कार्य किया जाएगा। इसके लिए वनवासी भाइयों के लिये आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं।

कोरोना छिपाने वालों पर एफ.आई.आर. –
मुख्यमंत्री चौहान ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे अपने जिलों में ऐसे व्यक्तियों के विरुद्ध एफ.आई.आर. दर्ज करें, जो कोरोना रोग को छुपाते हैं। जब वे मरीज ठीक हो जाएं, तब उनके विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए।

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