नरेन्द्र पँवार,दसाई। शिक्षा नोकरी पाने के लिये नहीं बल्कि नोकरी देने के लिये होना चाहिये। शिक्षा पाकर व्यक्ति सक्षम बनकर चार लोंगों को नोकरी देने योग्य बने तो वह शिक्षा ही उत्तम होती है। उक्त विचार प्रकाश परिहार तहसीलदार सरदारपुर नें अपने मुख्य आतिथ्य में सरस्वती शिशु मंदिर उमावि दसाई में होने वाले वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रम के अवसर पर छात्रों एवं पालकों को संबोधित करते हुवे कहे। मंचासीन विशेष अतिथि के रूप में स्थानीय चौकी प्रभारी किर्ति तोमर, थाना प्रभारी अमझेरा के रतनलाल मीणा तथा कन्या मावि दसाई के प्रधानाध्यापक कैलाशचन्द्र मारू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य मनोहर पंवार ने की। स्वागत भाशण सुभाष मंडलेचा ने देते हुवे आगामी सत्र से विद्यालय में अध्ययनरत समस्त छात्र-छात्राओं को पौशाखे, जूते, मौजे, टाई आदि निःशुल्क देने की घोषणा की गई।
अतिथियों के द्वारा सरस्वती पूजन के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ नंदिनी बैरागी एवं सहेलियों के द्वारा सरस्वती वंदना एवं चेतन जोगी व मित्रों के द्वारा गणेश वंदना से किया गया। छोटे छोटे बच्चों के वेलकम सांग व “इत्ति सी हंसी एवं इत्ति सी खुशी” ने दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं अजयराज व दिव्यांग की पेरीडी ने खुब हंसाया। जिया मिनारे का गीत “याद पिया की आने लगी” एवं जान्हवी नाहर का “माही मेनू छडयों ना” ने सभी को भाव विभोर कर दिया। खुशी बैरागी के गीत “तेरी मिटटी में मिल जांवा” एवं “मेरा रंग दे बसंती चोला” राष्ट्रीय गीत ने सभी को देश भक्ति से सरोबार कर दिया। प्रियंका मारू के नाटक “शिक्षा का अभाव” एवं लोकेश मारू के नाटक “सेव वाटर” ने दर्शकों की खुब तालियां बटोरी।
सूरज सांखला एवं साथियों के “पागल डाक्टर ड्रामा” व हर्ष डोडिया के “ढोंगी दुनिया” ने लोगो को खुब हंसाया। कार्यक्रम की रोचकता के चलते कडाके की ठंड के बावजूद देर रात तक पांडाल दर्शकों से ठसाठस भरा रहा। कार्यक्रम का संचालन धर्मेन्द्र चौहान ने किया।