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खाचरौद में चल समारोह के साथ स्थानीय नाकोडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर पहुंचे आचार्य श्री, अर्थ आने के बाद व्यक्ति दिमाग में अनर्थ की विचार धारा घुमती है – ऋषभचन्द्र सुरिश्वर म.सा.

खाचरौद। श्रीमति पुष्पा एवं स्व.प्रकाषजी लोढा ने अपने जीवन में दुर दृष्टि, पक्का इरादा रखकर 14 वर्ष पहले उज्जैन-खाचरौद रोड पर भूमि ली थी तब से पुष्पा बेन की यह भावना थी की यहां एक सुन्दर मंदिर बनाया जाए । समय के साथ मंदिर का निर्माण हुआ। प्रतिष्ठा भी हुई। लोढा परिवार ने प्रतिमा की प्रतिष्ठा भी की उसके पश्चात पुष्पा बेन के मन में उपाश्रय बनाने की भावना जागृत हुई। इन्होनें काफी समय से हमें भी विनति की। इस उपाश्रय के निर्माण में अरविन्द कुंज मुबंई के ट्रस्ट मण्डल का भी विशेष सहयोग रहा है, साथ ही नाकोडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर के ट्रस्टी गणों का भी काफी सहयोग रहा है। आज श्रीमति पुष्पा बेन का यह स्वप्न भी पूर्ण हो चुका है। अर्थ एकत्रित होने के बाद व्यक्ति के दिमाग में अर्नथ की विचारधारा घुमने लगती है। पर प्रकाश जी लोढा वकील साहब ने सत्य की राह पर चलकर झूठ न बोलने की कसम खाई थी इस वजह से उन्होनें पिछले 25 वर्ष पहले ही अपने वकालात के पैसे को त्याग दिया। अर्थ के साथ जीवन में प्रभुता का आना बहुत जरूरी है। छोटी बुद्धि से लघुता आना दुर्गुण है। आचार्यश्री म.प्र.शासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि शासन द्वारा आंगनवाडी के बच्चों को अडा परोसने का जो निर्णय थोपा है, उसे जैन समाज व शाकाहारी समाज किसी भी किमत पर सहन नहीं करेगा। शासन को इस निर्णय को वापस लेना पडेगा और यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया तो जैन समाज को मजबुरन सडकों पर उतर कर आन्दोंलन करना पडेगा।

दादागुरूदेव की पाट् परम्परा के अष्ट्म पट्धर वर्तमान गच्छाधिपति श्री मोहनखेडा तीर्थ विकास प्रेरक आचार्य देवेष श्रीमद् विजय ऋषभचन्द्र सुरिष्वर मसा की पावनतम निश्रा में स्थानीय श्री राजेन्द्रसुरि जैन पौशधशाला खाचरौद से चल समारोह के साथ स्थानीय नाकोडा पार्श्वनाथ जैन मंदिर पहुंचे। चल समारेाह में महिलाएं विभिन्न रंगबिरंगी पौशाखों के साथ मस्तक पर कलश लिए चल रही थी।मोर नृत्य दल ग्रुप चल समारोह का विशेष आकर्षक था। लगभग दो घंटे तक चल समारोह को पहुंचने में समय लगा। नाकोडा पार्श्वनाथ जिनालय पहुंच कर समस्त गुरू भक्तों ने आचार्यश्री का सामुहिक गुरू वदंन किया। तद्पष्चात माही लोढा ने नवकार नृत्य प्रस्तुति दी स्वागत गीत सीमा मूणत, अदिति मण्डोवरा द्वारा प्रस्तुत किया गया । दादा गुरूदेव के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जोलित अतिथि मेघराज लोढा, श्रीसंघ अध्यक्ष माणकलाल नान्देंचा, श्रीमति पुष्पा प्रकाश लोढा, भुपेन्द्र लोढा, रमेष लोढा, अनोखीलाल कटारिया, सुभाष नाहटा, शेलेन्द्र दलाल, नेमकुमार जैन, माणकलाल जी नागदा आदि ने किया। स्वागत उद्बोधन श्रीसंघ अध्यक्ष माणकलाल नान्देंचा, श्रीमति अंजु सुराणा ने किया। मंच संचालन मनोज सुराणा व संगीतमय प्रस्तुति हेमंत वेदमूथा मक्सी द्वारा दी गई। धर्मसभा के पश्चात श्री राजेन्द्रसुरि आराधना भवन के उद्घाटन के लाभार्थी श्री मेघराज लोढा एवं उपाश्रय के मुख्य आधार स्तम्भ पुष्पा प्रकाष जी लोढा, भुपेन्द्र लोढा, मनोज अजंु सुराणा सहित परिवार के परिजनों ने फीता कांटकर उपाश्रय का लोकार्पण किया। दोपहर में दादा गुरूदेव श्रीमद् राजेन्द्र गुरू महाराज साहब की गुरूप्रद महापूजन का भव्य आयोजन हुआ।

आचार्यश्री का खाचरौद नगर में 26 नवबंर मंगलवार से 30 नवबंर शनिवार तक स्थिरता है, जिसमें गुरूवार को आचार्यश्री के वरद् हस्तों से भटेवरा जैन मंदिर में पाट् परम्परा के सप्त्म पट्धर आचार्य देवेष श्रीमद् विजय रवीन्द्रसुरिश्वर जी मसा की प्रतिमा, यक्षदेव व अन्य प्रतिमा की प्रतिष्ठा प्रातः 8 बजे चल समारोह के पश्चात होगी। शुक्रवार को चबुतरा स्थित श्री शांतिनाथ जैन मंदिर में गेलडा परिवार द्वारा आयोजित ध्वजा के कार्यक्रम में आचार्यश्री की निश्रा रहेगी। 30 नवबंर को आचार्यश्री की स्थिरता स्टेशन रोड स्थित श्री जैन दादावाडी में रहेगी। 

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