भोपाल। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में आयकर विभाग ने ऐसे सभी संस्थानों को चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है जो टैक्स नहीं भरते अथवा निर्धारित से कम जमा करते हैं। इनके खिलाफ सख्ती करने की तैयारी की गई है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) की ओर से इस बार मप्र-छग को करीब 29 हजार करोड़ टैक्स वसूली का टॉरगेट दिया है। टैक्स वसूली की इस राशि में औसतन 50 से 52 फीसदी हिस्सा प्राय: टीडीएस का शामिल रहता है। आयकर विभाग ने पहली तिमाही बीतने के बाद दोनों राज्यों को अपने सभी अधिकारियों को टीडीएस के मामले में चाक-चौबंद व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य शासन के विभागों के अलावा अन्य ऐसे संस्थानों को भी चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है जो डिफाल्टर की श्रेणी में आ रहे हैं। टीडीएस काटने में लापरवाही बरतने वालों पर सख्त कार्रवाई की तैयारी भी की गई है। विभाग ने आउटरीच कार्यक्रम के तहत बड़े संस्थानों और शासकीय दफ्तरों में अपने अधिकारियों को भेजकर उन्हें जानकारी देने का कार्यक्रम भी बनाया है। विभाग की इस चिंता की मुख्य वजह यह है कि इस बार सीबीडीटी की ओर से मप्र-छग को 28,973 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली का टारगेट मिला है। पिछले वर्ष 22,173 करोड़ का टारगेट था जबकि तमाम प्रयासों के बावजूद विभाग 21,773 करोड़ रुपए की टैक्स वसूली कर पाया था। इसमें लगभग आधा हिस्सा टीडीएस का था। आयकर विभाग को दोनों राज्यों में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 14 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि जुटाने की चुनौती है। यही वजह है कि विभाग ने टीडीएस पर मुख्य फोकस किया है।
मप्र-छग में आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्त एके चौहान ने बताया कि टीडीएस के मद में वसूली बढ़ाने के लिए अधिकारियों को कार्यक्रम दिए गए हैं। कम अथवा टैक्स नहीं देने वाले संस्थानों को भी चिन्हित किया जा रहा है। आउटरीच कार्यक्रम के जरिए शासकीय विभाग और संस्थानों में आयकर अधिकारी जागरूकता बढ़ाने का अभियान चलाएंगे। डिफाल्टरों पर अभियोजन की कार्रवाई का प्रावधान भी है।