श्री मोहनखेड़ा तीर्थ/राजगढ़। दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पटधर वर्तमान गच्छाधिपति ज्योतिषसम्राट आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री हितेशचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री दिव्यचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रजतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री किरणप्रभाश्री जी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्री जी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्री जी म.सा. आदि ठाणा की पावनतम सानिध्यता में आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. ट्रस्ट के मेनेजिंग सुजानमल सेठ, ट्रस्टी संजय सराफ, की उपस्थिति में पाटगादी के पंचम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय विद्याचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की आषाढ़ शुक्ल सप्तमी के अवसर पर 37 वीं पूण्यतिथि निर्वाण दिवस पूजा अर्चना के साथ मनाया । आचार्यश्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वर जी म.सा. ने कहा श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ की जब आचार्यश्री के हाथों प्रतिष्ठा हुई थी । तब यहा पर कपड़ों के कमरे बनाये गये थे । आचार्यश्री ने विकास का जो स्वप्न देखा था । वह अब साकार हो रहा है । सभी जमीनों पर गुरुदेव की कृपा एवं उनके पूण्य परमाणुओं से चारों और विकास हुआ है । गुरुदेव हमें शक्ति प्रदान करें कि हम उनके स्वप्नों को पूर्ण कर सके । कविरत्न आचार्यश्री ने मोहनखेड़ा महातीर्थ में जैन युनिर्वसिटी का स्वप्न देखा था वह भी हमें पूर्ण करना है । आचार्यश्री का आशीर्वाद लेकर झाबुआ चातुर्मास हेतु आज हम विहार कर रहे है ।