माही नदी से रमेश प्रजापति। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु “नमामि देवी नर्मदे” योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। हमारे देश में नदीयों को माता के रूप में पुजा जाता है। नदीया हमारे लिये जिवनदायनी है। सरदारपुर तहसील के मिण्डा से उद्गम हुई माही नदी के संरक्षण के लिये क्षैत्र का कोई भी जनप्रतिनिधि आज तक आगे नही आया है और अगर आया भी हो तो केवल अपने राजनितिक स्वार्थ तक समिति रख कर ही कार्य किया है। अगर नमामि देवी नर्मदे की तर्ज पर माही नदी एवं नदी के घाटोें के संरक्षण हेतु अभीयान चलाया जाये तो काफी बदलाव जहां से माही नदी गुजरती है वहां देखने को मिल सकेगा।
जहां से निकली वही रहती है सूखी:- माही नदी का उद्गम स्थल सरदारपुर तहसील का गांव मिण्डा है। माही नदी यहां से निकलकर गुजरात और राजस्थान पहुंची है। माही नदी पर गुजरात एवं राजस्थान में बड़े बांध भी बने हुए है। लेकिन जहां से माही नदी निकली है। वही पर लगभग जनवरी बाद पानी सुख जाता है। सरदारपुर में इस पवित्र माही नदी से एक दो नही बल्की हजारों हजार लोगो की आस्था जुड़ी हुई है। क्षैत्र के लोग यहां हर त्यौहार पर स्नान करने आते है बरहाल यहां पर पानी तक भी नही रहता है साथ ही यह पवित्र नदी गंदगी से भी भरी पड़ी रहती है। नदी के आसपास बसे लोग व किसान इस पानी का उपयोग अपने निजी स्वार्थ के लिए करते है जिससे पवित्र नदी का पानी कई मर्तबा व्यर्थ बह जाता है।
माही नदी के लिए अभियान के तौर पर बड़ाने होंगे कदम:- विकासखण्ड की जिवन दायनी कहलाने वाली माही नदी के लिए अब आम जनता के साथ ही विकासखण्ड के जन प्रतिनिधियों को भी अपने कदम नदी के संरक्षण के लिए आगे बड़ाना होंगे। तभी यह जिवन दायनी कहलाने वाली इस पवित्र नदी का अस्तीत्व बच पायेगा। अन्यथा यह पवित्र नदी भी छोटे नदी नालो के रूप में ही सिमट जायेगी। जबकी यह माही नदी श्रृद्धालुओं के लिए बड़ी आस्था का केन्द्र है। माही नदी का उद्गम स्थल सरदारपुर तहसील में ही है लेकिन माही नदी के पानी का फायदा सरदारपुर तहसील के लोगा को नाम मात्र होता है। इसके विपरीत माही नदी के पानी से अन्य क्षैत्रों में किसान खेती करते है। अगर नमामि देवी नर्मदे की तर्ज पर स्थानीय जनप्रतिनिधि माही नदी के सरंक्षण हेतु इसकी पहल करे तो इसमें काफी बदलाव आ सकते है। सरदारपुर तहसील में जहां – जहां से माही नदी निकली है वहां पर सुन्दर घाट तैयार हो जाएंगे एवं घाटों पर स्वच्छता के साथ ही नदी में पानी रहने से लोग हर त्यौहार पर आस्था की डुबकीयां लगायेंगे।
पंच कोशी यात्रा में दिखती है अपार श्रृद्धा:- माही नदी के प्रति अगर अपार आस्था एवं श्रृद्धा देखनी हो तो प्रतिवर्ष माह फरवरी में निकाली जाने वाले पंच कोशी यात्रा में देखी जा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि पंच कोशी यात्रा में मालवा प्रांत के साथ ही निमाड़ व अन्य प्रांतों के श्रृद्धालु भी इस यात्रा में हिस्सा लेते है एवं यात्रा में लम्बी दुरी पैदल ही तय करते है। इतनी अपार आस्था होने के बाद भी नदी के संरक्षण हेतु ना तो प्रशासन आगे आया है और ना ही कोई स्थानिय जनप्रतिनिधि।