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सण्डे स्पेशल: यह केवल मंदिर ही नही है, यहां जुड़ी है हजारों लोगो की आस्था…

हुकमसिह राजपूत,राजगढ़ (धार)। कहते है कि विश्वास से बढ़ कर दुनिया में कोई नही है और अगर यही विश्वास प्रभु भक्ती में हो तो उसका कोई जवाब नही होता है। चेतक टाइम्स आपको सण्डे स्पेशल में विश्वास और आस्था से भरे एक स्थान के बारे में आपको बताने जा रहा है। यहां राजगढ़ नगर ही नही अपितु क्षैत्र के हजारो लोगो की आस्था जुड़ी हुई है। यह केवल मंदिर नही है यहां हर मर्ज की दवा है। हम बात कर रहे है राजगढ़ नगर के जन – जन की आस्था का कैन्द्र पांच धाम एक मुकाम श्री माताजी (बावड़ी) मंदिर की। श्री माताजी मंदिर वर्षो पुराना होकर यहां आस्था और विश्वास का अद्भुत नजारा हर त्यौहार पर देखने को मिलता है। यहां मन-तन-धन से दुःखी व्यक्ती सुकुन की तलाश में पहुंचता है। यहां विश्वास मात्र से ही व्यक्ती के हर बिगड़े कार्य बन जाते हैै। मंदिर के संस्थापक के रूप में पुज्यनिय बड़े गुरूदेव ब्रम्हलिन श्री मुरलीधरजी भारद्वाज द्वारा मंदिर पर कई तप- तपस्यााएं की गई। जिसका प्रभाव आज तक मंदिर में विद्यमान है। यहां ब्रम्हलिन गुरूदेव के आर्शिवाद पाने भक्त दुर – दुर से आते है।

इसलिए कहते है पांच धाम एक मुकाम:- माताजी मंदिर पर चारो धाम के सााथ – साथ गुरूदेव की समाधी स्थल होने से यह पांच धाम के नाम से जाना जाता है। यहां जगत जननी मां अम्बिका, महालक्ष्मी, महां कालिका, हनुमान जी, रिद्धी – सिद्धी सहीत श्री गणेश जी, श्री राधा – कृष्ण, संतोषी माता, बटुक भैरव, मंशा मंहादेव विराजीत है। वहीं मंदिर के गर्भ गृह में दक्षिण कालिका मां कामाख्या विराजीत है जिनके दर्शन मात्र से ही सभी मन इच्छाएं पुर्ण होती है। मां कामाख्या के दर्शन हेतु वर्ष में दो बार चेत्र शुक्ल अष्टमी – नवमी एवं आश्विन शुक्ल अष्टमी – नवमी को ही पट खोले जाते है। इसी दिन भक्तों को दर्शन लाभ मिलते है।

बावड़ी वाले मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है मंदिर:- माताजी मंदिर अति प्राचीन बताया जाता है। यहां प्राचिन बावड़ी जो क्षैत्र की एक मात्र बावड़ी है। मंदिर को क्षैत्र में बावड़ी मंदिर के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि यह बावड़ी कई वर्षो पुरानी है। वर्षो पहले नगर में पानी की पुर्ती यही से की जाती थी। जिर्ण – शिर्ण अवस्था में होने के बाद बावड़ी का जिर्णोउद्धार करवाया गया।

श्रावण माह एवं नवरात्री में दिखती है आस्था की भीड़:- माताजी मंदिर पर श्रावण माह में भोेले के भक्तों की भीड़ आस्था और उमंग के साथ देखने को मिलती है। श्रावण माह में मंदिर पर विराजीत महादेव जी का अभिशेक प्रतिदिन चलता रहता हैै। भगवान भोले नाथ के भक्त प्रतिदिन अभिशेक का लाभ लेते हैै। जिससे माहौल शिव मय हो जाता है। वही मंशा महादेव व्रत के वृतधारियों का सैलाब उमड़ता है। मंदिर पर नवरात्री में माता भक्ती का अनुठा संगम देखने को मिलता है। यहां श्री गणपति अंबिका युवा मंच एवं महिला मंच द्वारा शारदैय नवरात्री महोत्सव बड़े ही धुमधाम के साथ मनाया जाता है। नवरात्री महोत्सव में नौ दिनों तक भारी भीड़ रहती है जो मांता भक्ती में लिन रहती है। इसी तरह कई धार्मीक त्यौहारों में मंदिर पर आस्था का अद्भुत नजारा देखा जाता है।



अद्वितीय स्थान:– माताजी मंदिर पर आयुर्वेदीक उपचार द्वारा लोगो के रोग दुर किये जाते है। मंदिर के बड़े गुरूदेव आयुर्वेदाचार्य  श्री मुरारीलाल जी भारद्वाज द्वारा आयुर्वेदीक दवाई देकर लोगो के रोगो का निवराण किया जाता है। मंदिर से जुड़ी क्षैत्र वासियों की आस्था ने अद्वितीय स्थान बना दिया है। वहीं मंदिर पर विराजीत गुरूदेव बाल ब्रम्हचारी श्री महाविर प्रसाद जी (नारायण भगवान) मातृ भक्ती – पुजा में लिन रहते है जो की अपने आप में अद्वितीय है।

हर समाज यहा आस्थावान:- मंदिर पर विराजीत गुरूदेव ज्योतिषाचार्य श्री पुरूषोत्तमजी भारद्वाज से क्षैत्र का सभी जाती वर्ग, सभी समाज एवं सभी धर्म के लोग सीधे जुड़े हुए है। जो अपने प्रतिष्ठान, शादी, सगाई या कोई भी नया कार्य हो यही से मुहर्त ले जाते है। वहीं लोग गुरूदेव ज्योतिषाचार्य पुरूषोत्तमजी भारद्वाज से स्वयं के जिवन से जुड़ी हर समस्या का निवारण पाते है।

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